Rajeev Namdeo Rana lidhorI

बुधवार, 21 अगस्त 2013

Rrakshabandhan-kavita

Gazal-krishan janashtmiRrakshabandhan-kavitaकविता-''रक्षाबन्धन
रक्षाबंधन पर बहन,
राखी की डोर से,
खींच लाती है
भार्इ को दूर-दूर से,
बाँध देती है उसे
अपनी स्नेह डोर से,
भार्इ भी पास आ ही जाता है,
चाहे हो वह
दुनिया के किसी भी छोर से,
बहन तकती रहती है
भार्इ का रस्ता बडे भोर से
भार्इ भी गिफ्ट लाता है
खूब जोर शोर से
देख भार्इ बहन का पवित्र प्रेम,
माता-पिता के मन
नाच उठते है मोर से।
कामना करते है वे
उनकी खुशियों की चहुओर से,
रक्षाबन्धन का त्यौहार शुभ-मंगल हो
हमारी ओर से, हमारी ओर से...।
    - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
    संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
    अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
    शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
    भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965

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