Rajeev Namdeo Rana lidhorI

बुधवार, 23 अक्तूबर 2013

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी का व्यंग्य स्तम्भ-शर्म इनको मगर आती नहीं (6)-नारायण सार्इ तुमको शर्म नहीं आर्इ-

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी का
व्यंग्य स्तम्भ-शर्म इनको मगर आती नहीं


(सन्दर्भ-नारायण सार्इ का पुलिस से बचते फिरना)

(6)-नारायण सार्इ तुमको शर्म नहीं आर्इ-

नारायण सार्इ, कब तक बचते फिरोगे।
दुनिया है गोल, कहीं पे तो मिलोगे।।
अभी भी वक्त है, तुम सलेण्डर कर दो।
अपने सारे गुनाह खुद कबूल करलो।।
अदालत तुम पर रहम खा जाये।
शायद तुम्हारी सजा कम हो जाये।।
वर्ना जिस दिन लिये जाओगे दबोच।
तुम्हारी ली जायेगी फिर दाढ़ी नोच।।
पुलिस फिर भर देगी खाल में भूसा।
कुछ तुम्हारे दिमाग में खुसा।।
        888
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
 अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965

कोई टिप्पणी नहीं: