Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 2 नवंबर 2013

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी(10)-रज़ल-''खजाना

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी का
व्यंग्य स्तम्भ-शर्म इनको मगर आती नहीं (10)

(सन्दर्भ-डौडिंयाखेड़ा के सोने का खजाने का सच) 
(10)-रज़ल-''खजाना
मुफ्त में कोर्इ चीज नहीं मिलती।
नहीं हर जगह पे खजाने होते।।
वो तो हर शै मे मौजूद है।
नहीं उसके ठिकाने होते।।
        मूर्ख न होते गर दुनिया मे इतने।
        लोग खजाने के पीछे दीवाने न होते।।
        इंसा को अगर कोर्इ दु:ख दर्द न होता।
        यूं हर जगह पे खुले मयखाने न होते।।
ढूँढ़ सको तो ढूँढ लो तुम यहाँ 'राना।
छिपे इसां के अंदर ही तो खजाने होते।।
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-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
 अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965


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