Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 7 मार्च 2016

मांझ के जैन मंदिर में हुआ ‘‘कवि सम्मेलन 42 कवियांे 6-3-2016 tikamgarh mp

   मांझ के जैन मंदिर में हुआ ‘‘कवि सम्मेलन 42 कवियांे
  ने की पढ़ी कविता, खूब हुई काव्यरस वर्षा ’’-
(रतलाम, दुर्ग,बल्देवगढ़,लखौरा,कुण्डेश्वर, तखा मंजरा से आये कवि)
(म.प्र.लेखक संघ की 208वीं कवि गोष्ठी)

टीकमगढ़// सकल दिगंबर जैन समाज एवं सूर्य सागर हाईस्कूल के सौजन्य से ‘म.प्र.लेखक संघ’,एवं हिन्दी सेवा समिति, अ.भा.बुन्देलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद, श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद, तुलसी साहिय अकादमी, अ.भा. साहित्य परिषद,बज़्में अदब व राष्ट्रीय कवि संगम आदि सहित नगर की समस्त साहित्यिक संस्थाओं के संयुक्त तत्वधान में परमपूज्य 108आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज के संरक्षण में ‘जिला स्तरीय साहित्य व कवि सम्मेलन  मांझ के जैन मंदिर में आयोजित किया गया जिसमें जिसके मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र अध्वर्य रहे व अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार पं. हरिविष्णु जी अवस्थी’ ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅ.दुर्गेश दीक्षित़ से रहे।
सर्वप्रथम कवयित्री सुश्री सीमा श्रीवास्तव ने रचना पढ़ी-
 मेहरवान साहिबान कदरदान, इस ओर ध्यान दीजिए,
ये है दुल्हों की होल सेल की दुकान,फिक्स रेट नो डिस्काउंट।
म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल सुनायी-
अदब करे न बुजुर्गाे का न करे वो सलाम,
 ये कैसी मस्ती छायी है नौजवानों में।
मंदिरों मस्जि़्द में उनको जाने का वक्त नहीं,
 उनकी हर शाम गुज़र जाती है मयखाने।
रतलाम से पधारे युवा गीतकार संजय खरे ने गीत पढ़ा-
जन्म मोहे न दइयो, कोख में बैठी बोले ,माँ पीड़ा मत सहयो।
ग्राम बल्देवगढ़ से पधारे कवि कोमलचन्द्र बजाज ने पढ़ा-
 मंदिर में पूजा करें,लगाते भगवान को भोग,
दुकान पर जाकर,गरीबों को लूटते है लोग।।
 कुण्डेश्वर से पधारे बुन्देली कवि डाॅ. दुर्गेश दीक्षित ने पढ़ा-
पहले हृदय का निर्माण करो फिर राष्ट्र का निर्माण करो।।
रामगोपाल रैकवार ने सुनाया -
दूसरों को जीत लेना आसान है कँवल,
जो स्वयं को जीतें उन्हें महावीर कहते है।।
परमेश्वरीदास तिवारी ने कविता पढ़ी-   
पन्नी बनी अंग का जीवन,जीवन बिकता पन्नी में।
पन्नी में बिकता है बचपन,यौवन बिकता पन्नी में।।
सियाराम अहिरवार ने कविता पढ़ी-
आने दो बेटी को जग में,क्यों गर्भापात कराते हो,
  तुम कैसे सम्मी पापा हो,जो हत्या भ्रूण कराते हो।
हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने ग़ज़ल पढ़ी-
 कान मशीने मँुह बत्तीसी आँख पे चश्मा डाले है।
म्र रसीदा मे देखो तो खुद को खूब संभाले है।।
अनवर खान ‘साहिल’ ने ग़ज़ल पढ़ी-   
जेवर अच्छा लगता है न गौहर अच्छा लगता है।
औरत की जो कद्र करे वो शौहर अच्छा लगता है।
दीन दयाल तिवारी  ने सुनाया-
हिंसा छोड़ दे मानव,अहिंसा मंत्र जप लेना।
दया का भाव निजजन में सजाकरके ही रख लेना।
सीताराम राय ने पढ़ा-सत्य अंिहंसा परमो धर्म की नै ना कौनऊ ज्ञानी।
 अमर रहे इतिहास जगत में महावीर की वानी।।
पूरन चन्द्र गुप्ता ने पढ़ा-होते सम्मानीय हैं वरिष्ट नागरिक जोय,
 आयु अनुभव में बड़े पूजनीय वे जोय।
योगेन्द्र तिवारी ‘योगी’ ने सुनाया-
गरीबी के करीबी से मैंने हर दौर में देखे हंै।
 अमीरों के भी जीने के,तरीके और देखे है।।
शिवचरण उटमालिया ने ग़ज़ल पढ़ी-
माँ का दिल चीर कर जरा देखों, जब देगा दुआ देगा।।
 इनके अलावा सुशील यादव (दुर्ग),पं.हरिविष्णु अवस्थी,महेन्द्र पोतदार,लालजी सहाय श्रीवास्तव, अजीत श्रीवास्तव, हरेन्द्र पाल सिंह, शांति कुमार जैन बी.एल. जैन,भारत विजय बगेरिया,कृष्ण कुमार रावत,राजेश जैन,विजय मेहरा आदि ने भी रचनाएँ सुनायी। गोष्ठी संचालन उमाशंकर मिश्र ने किया ने किया एवं सभी का आभार प्रदर्शन संस्था महेन्द्र पोतदार ने किया।

रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’,
     अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,    मोबाइल-9893520965,   




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